स्नेह सन्देश – कनिका खत्री

वो सुबह बड़ी खुशनमा होती है जिस रात सपने मे तू आती है माँ

कभी सपनो में जब माथा सेहला जाती है ..

जीने की राह दिखा जाती  है..

दिल खुश हो जाता है ..एक नया सहस सा आ जाता  है ..

ऐसा एक दिन नहीं गया जब तू याद ना आये  माँ

बदले है मौसम कई पर याद तेरी सताए  माँ।

कब किसी रूप मे कभी किसी रूप मे तू दिखती है ..

तेरी तस्वीर से बातें कर उम्र बीत्ती है

चलता है ज़माना उसी रफ़्तार से 

बस एक खोलकल्पन है हमारे दिलों के बाज़ार  मे

देख तेरे बाघ मे चिड़िया यूँ चीखती है

तेरे से मिलने को मेरे संग दो और तरसती है .

तेरे हर खवाब को पूरा कर दिखाएंगे

पर तुझे कभी ना लौट के गले  लगाएंगे।

तेरी रेहमतो से हर दिन बक्शे जाते  है

तेरे बचे तुझे याद कर आंसू  बहते है।।

हो सके तोह थोड़ा और आया कर ..सपनो मे ही कुछ पल तोह बिताया कर

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